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Remedies
For all Malefic planets 40 दिनों तक 108 बार पाठ करें।
॥
दोहा॥
निश्चय
प्रेम प्रतीत ते, विनय करै सनमान।
तेहि
के कारज सकल सुभ, सिद्धि करै हनुमान॥
॥
चौपाई॥
जय
हनुमन्त सन्त हितकारी ।
सुन
लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन
के काज विलम्ब न कीजै।
आतुर
दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे
कूदि सिन्धु वहि पारा।
सुरसा
बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे
जाइ लंकिनी रोका।
मारेहु
लात गई सुरलोका॥
जाय
विभीषण को सुख दीन्हा।
सीता
निरखि परम पद लीन्हा॥
बाग
उजारि सिन्धु महं बोरा।
अति
आतुर यमकातर तोरा॥
अक्षय
कुमार को मारि संहारा।
लूम
लपेटि लंक को जारा॥
लाह
समान लंक जरि गई।
जय
जय धुन सुर पुर महं भई॥
अब
बिलम्ब केहि कारण स्वामी।
कृपा
करहुं उर अन्तर्यामी॥
जय
जय लक्ष्मण प्राण के दाता।
आतुर
होइ दुख करहु निपाता॥
जय
गिरिधर जय जय सुख सागर।
सुर
समूह समरथ भटनागर॥
ऊँ
हनु हनु हनुमन्त हठीले।
बैरिहिं
मारु वज्र की कीले॥
गदा
वज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज
प्रभु दास उबारो॥
ॐ
कार हुंकार महाबीर धावो।
वज्र
गदा हनु विलम्ब ना लावो॥
ऊँ
ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीशा।
ऊँ
हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥
सत्य
होहु करि शपथ पायके।
रामदूत
धरु मारु धाय के॥
जय
जय जय हनुमन्त अगाधा।
दुख
पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा
जप तप नेम अचारा।
नहिं
जानत हौं दास तुम्हारा॥
वन
उपवन मग गिरि गृह माहीं।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं
पांय
परौं कर जोरि मनावौं।
यह
अवसर अब केहि गोहरावौं॥
जय
अञ्जनि कुमार बलवन्ता।
शंकर
सुवन वीर हनुमन्ता॥
बदन
कराल काल कुल घालक।
राम
सहाय सदा प्रति पालक॥
भूत
प्रेत पिशाच निशाचर।
अग्नि
बैताल काल मारीमर॥
इन्हें
मारु तोहि शपथ राम की।
राखु
नाथ मरजाद नाम की॥
जनक
सुता हरिदास कहावो।
ताको
शपथ विलम्ब ना लावो॥
जय
जय जय धुन होत अकाशा।
सुमिरत
होत दुसह दुख नाशा॥
चरण
शरण कर जोरि मनावौं।
यह
अवसर अब केहि गोहरावौं॥
पांय
परौ कर जोरि मनाई॥
ऊँ चं चं चं चपल चलन्ता।
ऊँ
हनु हनु हनु हनुमन्ता॥
ऊँ
हं हांक देत कपि चञ्चल।
ऊँ
सं सं सहमि पराने खलदल॥
अपने
जन को तुरत उबारो।
सुमिरत
होय आनन्द हमारो॥
यह
बजरंग बाण जेहि मारे।
ताहि
कहो फिर कौन उबारे।
पाठ
करै बजरंग बाण की।
हनुमत
रक्षा करै प्राण की॥
यह
बजरंग बाण जो जापै।
तासो
भूत प्रेत सब कांपै॥
धूप
देय अरु जपै हमेशा।
ताके
तन नहिं रहे कलेशा॥
॥
दोहा॥
प्रेम
प्रतीति धरि कपि भजे, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि
के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥